पुरकाजी (मुजफ्फनगर)। गांव हरिनगर के किसान के खेत से मिली तोप को लेकर भाकियू और पुलिस प्रशासन में ठन गई

पुरकाजी (मुजफ्फनगर)। गांव हरिनगर के किसान के खेत से मिली तोप को लेकर भाकियू और पुलिस प्रशासन में ठन गई है। अधिकारी इस तोप को सरकारी संपत्ति बता रहे हैं तो, भाकियू इसे शहीदों के सम्मान का प्रतीक बताते हुए सूली वाले बाग में ही स्थापित करने पर अड़ी है। फिलहाल तोप को सूली वाला बाग में रख दिया गया है। भाकियू नेताओं का कहना है कि तोप उनके कब्जे में है, जबकि प्रशासन का कहना है कि वो पुलिस की निगरानी में है। देर रात तक पुलिस और भाकियू कार्यकर्ता सूली वाला बाग में मौजूद रहे।



पुरकाजी क्षेत्र के गांव हरिनगर में सोमवार दोपहर पुरकाजी नगर पंचायत चेयरमैन जहीर फारूकी ने किसान विनोद कश्यप के खेत में जेसीबी मशीन से खोदाई करवाई। तो वहां तोप निकली। करीब 60 कुंतल से अधिक वजन की तोप को भाकियू नेता ट्रैक्टर-ट्राली में लादकर कस्बे के सूली वाला बाग ले जाने लगे, तो पुलिस ने रोकने का प्रयास किया। भाकियू कार्यकर्ता तोप को ट्रैक्टर ट्राली में लादकर सूली वाला बाग पर ले गए। मामले को लेकर भाकियू व पुलिस में ठन गई। कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की। चेयरमैन ने कहा कि तोप को सूली वाला बाग पर रखा जाएगा। अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) अमित सिंह और सीओ सदर कुलदीप कुमार ने पुलिस बल के साथ मौके पर जाकर भाकियू नेता राकेश टिकैत से बात की, लेकिन कोई हल नहीं निकला। बाद में अधिकारी लौट गए। राकेश टिकैत ने कहा कि यदि प्रशासन ने इस तोप को ले जाने का प्रयास किया तो भाकियू चुप नहीं बैठने वाली। देर रात तक पुलिस और भाकियू नेता धीरज लाटियान, नवीन राठी, मांगेराम त्यागी, इरशाद फरीदी, मोहम्मद सुलेमान आदि कार्यकर्ता मौके पर जमा थे।
बोले ग्रामीण, 40 साल पहले भी मिली थी दो तोप
पुरकाजी। हरिनगर के पूर्व प्रधान लाल सिंह के अलावा ग्रामीण मकसूद, शरीफ, अमन, सोनू आदि ने बताया कि करीब 40 साल पहले भी गांव से तीन तोप मिली थी। ग्रामीणों का कहना है कि एक तोप रुड़की मिलिट्री के पास है, जबकि दूसरी डीएम और तीसरी एसएसपी के आवास पर रखी है। हालांकि अफसरों को इसकी कोई जानकारी नहीं है कि उनके आवास पर रखी तोप कहां से मिली थी और कब से रखी है। उधर, ग्रामीणों का कहना है कि विनोद कश्यप के खेत की खोदाई कराई जाए तो और भी तोप मिल सकती है। कुछ ग्रामीण बरामद हुई तोप को अंग्रेजी शासन की तो कुछ मुगलकालीन की भी होना बता रहे है।
सूलीवाला बाग में दी गई थी शहीदों की फांसी
पुरकाजी। कसबे के पास स्थित सूलीवाला बाग को शहीद स्थल का दर्जा दिए जाने की मांग पुरकाजी चेयरमैन जहीर फारुकी काफी साल से कर रहे है। उनका कहना है कि वर्ष 1857 के आंदोलन में अंग्रेजों ने यहां सूलीवाला बाग में आजादी के सैकड़ों दीवानों को फांसी पर लटकाया था। हालांकि इसका इतिहास में कोई प्रमाण नहीं मिलता है।
वर्जन
- तोप ब्रिटिश हुकूमत के दौर की है, इससे प्रशासन का कोई लेना देना नहीं है। यह तोप शहीदों के सम्मान का प्रतीक है, इसे सूली वाला बाग में रखा जाएगा। ताकि यहां से गुजरने वाले लोग भी तोप को देखकर शहीदों को याद करेंगे। अगर प्रशासन की तरफ से तोप ले जाने का प्रयास किया गया, तो डीएम आवास पर रखी तोप को भी सूली वाला बाग में लाकर रखवा दिया जाएगा।- राकेश टिकैत, राष्ट्रीय प्रवक्ता, भाकियू
- तोप प्रशासन की संपत्ति है। जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया है। तोप अंग्रेजी काल की बताई जा रही है। भारतीय पुरातत्व विभाग को इस संबंध में जानकारी दी जा रही है। लखनऊ या आगरा से टीम आकर इसकी जांच करेगी, तभी पता चलेगा कि तोप किस समय की है। - अमित सिंह, अपर जिलाधिकारी (प्रशासन), मुजफ्फरनगर